गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की खान है लसोड़ा, फायदे जानकर चौंक जाà¤à¤‚गे आप
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हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ पंजाब उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ आदि में पाये जाने वाला ये छोटा सा फल पोषक ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ और औषधीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र होता है इसका वानसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤• नाम कॉरà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ मायकà¥à¤¸à¤¾ है।
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लसोड़ा पोषक ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ और औषधीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र होता है। देश के कई जगहों पर इसे गोंदी और निसोरा à¤à¥€ कहा जाता है। इसके फल सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ के बराबर होते हैं। कचà¥à¤šà¥‡ लसोड़े का साग और आचार à¤à¥€ बनाया जाता है। पके हà¥à¤ लसोड़े मीठे होते हैं तथा इसके अंदर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है। इसके पेड़ की तीन से चार जातियां होती है पर मà¥à¤–à¥à¤¯ दो हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। इसका वानसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤• नाम कॉरà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ मायकà¥à¤¸à¤¾ है। लेकिन तेजी से बदलते खानपान की वजह से यह लोगों से दूर होता जा रहा है। लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इमारती काम के लिठइसके तखà¥à¤¤à¥‡ बनाये जाते हैं और बनà¥à¤¦à¥‚क के कà¥à¤¨à¥à¤¦à¥‡ में à¤à¥€ इसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होता है। इसके साथ ही अनà¥à¤¯ कई उपयोगी वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ बनायी जाती हैं।
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लसोड़े के पेड़ की छाल को पानी में उबालकर छानकर पिलाने से खराब गला à¤à¥€ ठीक हो जाता था। इसके पेड़ की छाल का काà¥à¤¾ और कपूर का मिशà¥à¤°à¤£ तैयार कर सूजन वाले हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में मालिश करने से आराम मिलता है। इसके बीज को पीसकर दादखाज और खà¥à¤œà¤²à¥€ वाले सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर लगाने से आराम मिलता है। लसोड़ा में मौजूद ततà¥à¤µ इसमें दो फीसद पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨, कारà¥à¤¬à¥‹à¤¹à¤¾à¤‡à¤¡à¥à¤°à¥‡à¤Ÿ,वसा, फाइबर, आयरन, फॉसà¥à¤«à¥‹à¤°à¤¸ व कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤® मौजूद होते हैं।  गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के आदिवासी लोग लसोड़ा के फलों को सà¥à¤–ाकर चूरà¥à¤£ बनाते है और मैदा, बेसन और घी के साथ मिलाकर लडà¥à¤¡à¥‚ बनाते हैं। इनका मानना है कि इस लडà¥à¤¡à¥‚ के सेवन शरीर को ताकत और सà¥à¤«à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ मिलती है। लसोड़ा की छाल का काà¥à¤¾ पीने से महिलाओं को माहवारी की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में आराम मिलता है
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जब आधà¥à¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ नहीं थीं तो लसोड़े के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से ही कई बीमारियां दूर की जाती थीं। लगà¤à¤— हर घर में लसोड़े के बीज, चूरà¥à¤£ आदि रखा जाता था। जिसे जरूरत पड़ने पर इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता था।
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लसोड़ा नम और सूखे जंगलों में बà¥à¤¤à¤¾ है। यह हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, पंजाब, उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ आदि में होता है। जंगल के अलावा लोग अपने खेतों के किनारे पर à¤à¥€ इसे तैयार करते हैं। जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ के कारण इसके पेड़ लà¥à¤ªà¥à¤¤ हो रहे हैं। इसके बीज से पेड़ तैयार करना लगà¤à¤— असंà¤à¤µ है। औषधीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र इस पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ के संरकà¥à¤·à¤£ की जरूरत है।
